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दरअसल, पहले ही गृह मंत्रालय पर इसको लेकर भेदभाव के आरोप लग चुके हैं। तीस्ता सीतलवाड़ की सिटीज़न फॉर जस्टिस एंड पीस और जाकिर नायक की इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को स्वत: मंज़ूरी मिलने पर मंत्रालय की किरकिरी हो चुकी है। ऐसे में इस कदम से विवादों में घिरे गृह मंत्रालय द्वारा अपनी साख बचाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
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