2003 में पत्रकारिता छोड़ना चाहते थे अरनब गोस्वामी, अब करेंगे यह धमाका!

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उन्‍होंने पत्रकारों पर सवाल उठाते हुए कहा कि हैदराबाद में जब तस्‍लीमा नसरीन पर हमला किया गया तो उस मुद्दे पर आवाज बुलंद क्‍यों नहीं की गई। अरनब ने कहा, ”किसी और की बात मानते रहना मेरा किरदार नहीं है। इंडिपेंडेंट मीडिया को लेकर जो छवि है हम उसे बदल देंगे। देश में जिस तरह से पत्रकारिता होती है मैं उसके खिलाफ विरोध करने जा रहा हूं।”

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यूपीए शासन के समय तत्‍कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पत्रकारों से बात करने के वाकये का भी अरनब ने जिक्र किया। उन्‍होंने कहा कि वहां कई एडिटर्स ने पीएम से कड़ा सवाल नहीं किया। जब उन्‍होंने पीएम से सवाल किया तो उनके मीडिया सलाहकार हरीश खरे ने बीच में टोकते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री से पूछताछ का समय नहीं है। इस पर पीएम ने लिखित जवाब दिया। अरनब के अनुसार भारत-पाकिस्‍तान, जेएनयू जैसे मुद्दों पर उनका कड़ा रूख है। हालांकि उनका रूख सरकार के बर्ताव से मिलता जुलता है।

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