बाबरी केस : आडवाणी, जोशी उमा की बढ़ी मुश्किलें, कोर्ट ने पेश होने का दिया आदेश

0
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

1992 में बाबरी मस्जिद गिराने को लेकर दो मामले दर्ज किए गए थे। एक मामला (केस नंबर 197) कार सेवकों के खिलाफ था जबकि दूसरा मामला (केस नंबर 198) मंच पर मौजूद नेताओं के खिलाफ। केस नंबर 197 के लिए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से इजाजत लेकर ट्रायल के लिए लखनऊ में दो स्पेशल कोर्ट बनाए गए जबकि 198 का मामला रायबरेली में चलाया गया। केस नंबर 197 की जांच सीबीआई को दी गई जबकि 198 की जांच यूपी सीआईडी ने की थी। केस नंबर 198 के तहत रायबरेली में चल रहे मामले में नेताओं पर धारा 120 B नहीं लगाई गई थी लेकिन बाद में आपराधिक साजिश की धारा जोड़ने की कोर्ट में अर्जी लगाई। कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी।

इसे भी पढ़िए :  चीफ इमाम की गुजारिश- आतंकियों के जनाजे की ना नमाज पढ़ें और ना दफनाने को दें जमीन

हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया कि रायबरेली केस को भी लखनऊ लाया जाए। हाई कोर्ट ने मना कर दिया और कहा कि यह केस ट्रांसफर नहीं हो सकता क्योंकि नियम के तहत 198 के लिए चीफ जस्टिस से मंजूरी नहीं ली गई। इसके बाद रायबरेली में चल रहे मामले में आडवाणी समेत अन्य नेताओं पर साजिश का आरोप हटा दिया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 20 मई 2010 के आदेश में ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया। इस फैसले को सीबीआई ने 2011 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। चुनौती देने में आठ महीने की देरी की गई। सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को सीबीआई अदालत से कहा था कि वह मामले में आरोपियों के खिलाफ साजिश के आरोप भी जोडे़।

इसे भी पढ़िए :  पीएम मोदी ने वडोदरा एयरपोर्ट पर इंटरनेशनल टर्मिनल का किया उद्घाटन
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse