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जिस तरह पांच राज्यों के चुनावों से पहले नोटबंदी एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा था, उसी तरह 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले यह भी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। इस नीति को केंद्र सरकार लागू करेगी और यह राज्य पर निर्भर होगा कि वह अपने वहां इसे लागू करें या नहीं। 2002 के बाद यह पहली बार होगा कि नये तरीके से लागू किया जा रहा है।
इतनी बड़ी स्कीम के लिए पैसा लाना भी केंद्र सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी। खबरों के मुताबिक इसके लिए ढाई करोड़ रूपये का सालाना खर्च बढ़ सकता है। इसके तहत स्कीम में हेल्थ टैक्स भी लगाया जा सकता है।
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