हाल ही में न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर ने सबको अचम्भे में तब डाल दिया जब वो एक समारोह में मंच से बोलते-बोलते रो पड़े थे। मौक़ा था राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के सम्मलेन का जिसमें प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद थे।
न्यायमूर्ति ठाकुर यह कहते-कहते आंसुओं में डूब गए कि आम आदमी का न्याय प्रणाली पर विश्वास निम्नतर स्तर पर पहुंच चुका है।
यह घटना इस साल अप्रैल माह की थी। तीन महीनों के बाद यानी स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर उन्होंने फिर एक समारोह में क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए कहा “आप ग़रीबी हटाएं, रोज़गार का सृजन करें, योजनाएं लाएं मगर देश के लोगों के लिए न्याय के बारे में भी सोचें।”
इससे पहले जजों की नियुक्ति को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने सरकार के ख़िलाफ़ तल्ख़ टिप्पणी भी की थी। उन्होंने कहा था कि अगर जजों की नियुक्ति के मामले में सरकार कुछ नहीं करती है तो फिर न्यायपालिका को ही हस्तक्षेप करने पर मजबूर होना पड़ेगा।