81 साल के सर्वोच्च तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने 17 मार्च को बिहार के नालंदा जिले में स्थित राजगीर में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सेमिनार का उद्घाटन किया था। राजगीर बिहार की राजधानी पटना से करीब 100 किलोमीटर दूरी पर है। ’21वीं शताब्दी में बौद्ध धर्म’ नाम के इस सेमिनार में दुनिया के अलग-अलग देशों के बौद्ध संन्यासी और विद्वानों ने हिस्सा लिया।
इससे पहले, इसी महीने चीन ने दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने की इजाजत देने पर भारत सरकार से ऐतराज जताया था। दरअसल चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है। तब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था कि चीन विवादित क्षेत्रों में दलाई लामा के जाने का कड़ा विरोध करता है। उन्होंने कहा था, ‘पूर्वी चीन-भारत सीमा को लेकर चीन का रुख स्पष्ट है। दलाई काफी समय से चीन-विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। उनका विवादित क्षेत्रों में जाना ठीक नहीं है।’
नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा 1959 में चीन छोड़कर भारत में शरण लिए थे। चीन उन्हें खतरनाक अलगाववादी मानता है। अतीत में चीन ने उनके साथ सुलह के लिए बातचीत भी कर चुका है लेकिन 2012 में शी चिनफिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद चीन का दलाई लामा पर रुख पहले से ज्यादा सख्त हो गया और पेइचिंग उनकी मेजबानी न करने के लिए तमाम देशों पर दबाव डालता रहा है।































































