सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान चिल्ला रहे वकीलों पर मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर आपा खो बैठे। उन्होंने वकीलों से कहा कि चुप हो जाओ या फिर बाहर निकाल दिए जाओगे। चीफ जस्टिस ठाकुर ने कहा, ”चुप हो जाओ। आप लोग चिल्ला क्यों रहे हैं? यह कोर्ट है या मछली मार्केट? मैंने कहा चुप हो जाओ। मैं आप लोगों को बाहर निकलवा दूंगा। कोर्ट की गरिमा होनी चाहिए। जो लोग कोर्ट रूम में अपने आप को संभाल नहीं पाते वे सीनियर वकील बनना चाहते हैं।” चीफ जस्टिस ने कुछ वकीलों से कहा कि अगर उन्होंने ढंग से आचरण नहीं किया तो उन्हें बाहर निकाल दिया जाएगा। साथ ही एक वकील से कहा कि दोबारा ऐसा नहीं होना चाहिए।
जस्टिस ठाकुर ने कहा, ”आप चुप रहिए। इस अदालत की गरिमा है। यह कोर्ट है या बाजार? आप इस मामले में पार्टी नहीं हैं। सोली सोराबजी को देखिए। उन्हें देखिए और कुछ सीखिए। क्या आपको लगता है कि चीखने और धौंस जमाने से आपको मदद मिलेगी।” वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंग की कुछ वकीलों के सीनियर बनने के क्रम में पारदर्शिता को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह वाकया हुआ। चीफ जस्टिस के साथ ही जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एल नागेश्वर राव भी सुनवा ई बैंच में शामिल थे। इंदिरा जयसिंग ने कहा कि बार में कुछ वरिष्ठ वकीलों का एकाधिकार है। इससे न्याय पाने में दिक्कत होती है। इसलिए ऐसा तंत्र बनाया जाए जिससे सभी वकीलों को समान अवसर मिले।
उन्होंने कहा कि वर्तमान तंत्र भेदभाव भरा है इसलिये यदि हम चाहते हैं कि यह चलता रहे तो इसे लोकतांत्रिक बनाना होगा। हालांकि उनके इस सुझाव से कोर्ट सहमत नहीं हुआ कि 20-30 साल के अनुभव वाले वकीलों को सीधे तौर पर सीनियर मान लिया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर कि किसी वकील ने इस पेशे में कुछ साल बिताएं हैं तो उसका ओहदा बढ़ा दिया जाए यह ठीक नहीं है। इस याचिका पर सभी पार्टियों को अपना जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।