इस बीच, उसके परिजन ने मेडिक्लेम पॉलिसी फर्म और टीपीए को 23 जुलाई को इस बारे में सूचित किया। हालांकि अगले साल जनवरी में उसे कंपनी द्वारा बताया गया कि उसका दावा इस आधार पर खारिज कर दिया गया है कि उसने अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर कंपनी को सूचित नहीं किया। मेडिक्लेम पॉलिसी कंपनी के इंकार के बाद रहमान ने मंच का रूख किया और तमाम दस्तावेज दिखाए। मंच ने माना कि शिकायतकर्ता ने बीमा कंपनी को 24 घंटे के भीतर ही सूचित कर दिया था लिहाजा उसने मेडिक्लेम पॉलिसी कंपनी के दावे को गलत बताया।
मंच ने कहा, ‘‘यदि कोई बीमित व्यक्ति अचानक से बीमार होता है और उसके परिजन उसे अस्पताल में भर्ती कराते हैं तो सबसे पहले उसके उपचार को लेकर चिंता की जाती है। उस समय एक बीमार व्यक्ति के परिजन की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखना जरूरी है। ऐसे में मेडिक्लेम पॉलिसी कंपनी की यह शर्त कि अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर जरूरी कागजात के साथ उसे सूचित किया जाए ‘कठोर’ है।’’































































