हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए RSS प्रमुख मोहन भागवत के नाम की सिफारिश की थी लेकिन बीजेपी का कहना है कि आरएसएस का चुनाव नहीं लड़ती है। अब आपको बताते हैं कि बीजेपी ने अपने बयान में ये बात क्यों कही है।
दरअसल राष्ट्रपति चुनाव में आपसी सहमती से उम्मीदवार तय करने के लिए बीजेपी विपक्ष से विचार-विमर्श शुरु किया है जिसके चलते वरिष्ठ मंत्रियों राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर CPM के जनरल सेक्रटरी सीताराम येचुरी, सपा के मुलायम सिंह यादव से लेकर बीएसपी चीफ मायावती से मुलाकात की। हालांकि एक पार्टी ऐसी भी रही जिसने बीजेपी के इन दो वरिष्ठ नेताओं से यह कहा कि सत्ताधारी गठबंधन कोई कट्टर (आरएसएस) उम्मीदवार ना उतारे।
CPI के जनरल सेक्रेटरी एस सुधाकर रेड्डी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमने उनसे कहा कि हमें कोई भी कट्टर उम्मीदवार नहीं चाहिए। धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक साख वाला कोई भी उम्मीदवार चलेगा। हमने उन्हें बताया कि उनके पास चुनाव जीतने की क्षमता है लेकिन देश बंटा हुआ है। यह एकीकरण का चुनाव है, इसलिए ऐसा उम्मीदवार लाया जाए जिसके लिए सभी तैयार हों।” रेड्डी ने बताया कि उन्होंने शिवसेना के उस प्रस्ताव के बारे में पूछा जिसमें मोहन भागवत का नाम सुझाया गया था। रेड्डी ने बताया, “उन्होंने (भाजपा ने) कहा कि आरएसएस नेता चुनाव नहीं लड़ते।”
गौरतलब है कि शिवसेना की ओर से लगातार मोहन भागवत को राष्ट्रपति पद का उपयुक्त उम्मीदवार कहा जाता रहा है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एमएस स्वामीनाथन के नाम की सिफारिश करते हुए कहा था, ‘हम हिन्दू राष्ट्र हैं, इसलिए मोहन भागवत हमारी पहली पसंद हैं। लेकिन अगर उनके नाम से कोई समस्या है, तो हम एमएस स्वामीनाथन का नाम सुझाएंगे। हिन्दु राष्ट्र के अलावा हम कृषि प्रधान राष्ट्र भी हैं. किसानों की समस्याओं का उनके पास हल है, तो फिर स्वामीनाथन क्यों नहीं?’
गौरतलब है कि मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 24 जुलाई को अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे। भारतीय निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए 17 जुलाई की तारीख घोषित की है। 20 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आएंगे।