एक साल में टीबी से मरने वालों की संख्या हुई दोगुनी, कारण कोई नहीं जानता

0
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, “टीबी जैसे संक्रमक रोग का खतरा पहले की तुलना में अधिक बड़ा है। यह टीबी के प्रति भारत की सजगता और सर्वेक्षण के आंकड़ों को दर्शाती है। पिछले अनुमान में आंकड़े घटाने के साक्ष्य में घरेलू सर्वेक्षण,  राज्य-व्यापी टीबी प्रसार सर्वेक्षण, निजी क्षेत्र में विरोधी टीबी दवा की बिक्री का अध्ययन, अधिसूचना डेटा और मृत्यु दर के आंकड़ों के नए विश्लेषण शामिल हैं।”

इसे भी पढ़िए :  CBI को मिला विशेष अधिकार, विदेश में अपराध करने वालों पर भी अब चला सकेगी मुकदमा

‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ में टीबी की रोकथाम के लिए कामं कर रहे वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी पुनीत दीवान कहते हैं, “सामान आकार और सामान टीबी के पैमाने वाले अधिकांश अन्य देशों की तुलना में सरकारी टीबी कार्यक्रम ने बेहतर काम किया है।” ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ एक निजी संस्था है जो भारत में टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के लिए धन देता है। दीवान कहते हैं, “लेकिन ऐसे ढेर सारे मरीज हैं जो सरकार की निगरानी कार्यक्रम के दायरे में नहीं हैं।”

इसे भी पढ़िए :  यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने बनाया रिकॉर्ड, पढ़िए जरूर

WHO की 2016 की रिपोर्ट सिर्फ 2015 में नए टीबी मामलों पर आधारित है, टीबी के नए और पुराने मामलों की गन्ना नहीं की गयी है। दुनियाभर में टीबी के नए मरीजों की जो रिपोर्ट जारी की गयी है उनमें से 60% मरीज सिर्फ 6 देशों से हैं। ये 6 देश हैं- भारत, इंडोनेशिया, चीन, नाइजीरिया, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका। दुनिया भर में मल्टी ड्रग रीजिस्टन्ट मामलों में भारत, चीन और रूस में 45 फीसदी मामले पाए गए हैं।

इसे भी पढ़िए :  अब बैंक खाता खोलने के लिए आधार जरूरी, 50000 से ज्यादा के लेन-देने पर भी दिखाना होगा आधार
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse