ये सबकुछ इसलिए ताकि हिन्दुस्तानियों का पैसा, किसी ऐसे मुल्क में न जाए, जो पाकिस्तान से हमदर्दी रखता हो, जो भारत के मोस्ट वॉन्टेड मसूद अज़हर की तरफदारी करता हो। पिछले कुछ बरसों में दीवाली के मौके पर चीनी सामानों का कितना कारोबार हुआ, इसका आंकड़ा देखें तो आप जीरो ही गिनते रह जाएंगे। 2006 में दिवाली में चीनी सामानों का कारोबार 11 हजार करोड़ का था, जो 2012 में बढ़कर 33 हज़ार करोड़ से भी ज्यादा हो गया। यानी तकरीबन तीन गुना। एक अनुमान के मुताबिक चीनी सामानों की वज़ह से भारतीय बाजार को तकरीबन 200 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है।
सिर्फ ये संस्थाएं ही नहीं, बल्कि चीनी सामान के बहिष्कार के लिए सोशल मीडिया पर भी लंबी मुहिम जारी है। लोग भारत में चीनी सामानों पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं। जितना गुस्सा पाकिस्तान के खिलाफ है। उतना ही आक्रोश चीन के खिलाफ भी, क्योंकि हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन अब चीन का सबसे बड़ा दोस्त है।
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