इस सर्जिकल स्ट्राइक के लिए स्पेशल फोर्सेज की चार ‘असॉल्ट टीम’ बनाया गया, जिसमें कुल 25 जवान शामिल थे। इनमें से तीन टीमों को हमला करना था और एक पैरा ट्रूपर्स की टीम थी जिनको बड़े हथियार चलाने थे। इस ऑपरेशन में शामिल टीमों के पास आरपीओ7 फ्लेम थ्रोअर्स, पीके मशीन गन, रॉकेट लॉन्चर्स जैसे हथियार थे। ऑपरेशन शुरू होने के बाद इन चार टीमों में शामिल जवान 12-12 की आठ टीमों में बंट गए। फिर अंधेरे में केल, टुटमरी गली, नंगी टेकरी और बालनोई चौकियों से स्पेशल फोर्सेज के ये जवान पाक अधिकृत कश्मीर में दाखिल हुए।
इन जवानों को आर्टिलरी यूनिट की ओर से कवर फायर के जरिए पीओके में दाखिल हाने में मदद दी गई। आधी रात के बाद स्पेशल फोर्स के जवानों ने अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ना शुरू किया। टीम में शामिल कमांडोज ने आसानी से पहचान में न आने के लिए जंगल कैमफ्लाश़ पहने हुए थे। कमांडोज नाइट विजन कैमरा, रात में देखने के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरण और इजरायली टेवर राइफल्स से लैस थे। कुछ ही देर में भारतीय सेना के ये कमांडोज अपने लक्ष्य के पास थे और हर टीम ने आतंकियों के लॉन्चिंग पैड्स पर एक साथ धावा बोला। करीब चार घंटे तक चले इस ऑपरेशन के बाद कमांडोज बिना किसी नुकसान के भारतीय सीमा में वापस दाखिल हो गए।