बुधवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने नोटबंदी के मुद्दे पर संसदीय समिति को बताया कि किस तरह पिछले साल जनवरी से नोटबंदी पर चर्चा शुरू हो चुकी थी। वहीं, पेशी के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कुछ सवालों के मामले में पटेल की मदद के लिए आगे बढ़े। बता दें प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री से पहले मनमोहन सिंह आरबीआई के गवर्नर रह चुके हैं। उन्होंने पटेल को सलाह दी थी कि ऐसे किसी सवाल का जवाब न दें जो केंद्रीय बैंक और उसकी स्वायत्ता के लिए परेशानी का सबब बन जाए।
समिति के सूत्रों ने कहा कि पटेल रिजर्व बैंक तथा वित्त मंत्रालय के कुछ अधिकारियों की टीम के साथ वित्त पर संसद की स्थायी समिति के समक्ष पेश हुए। सदस्यों ने उनके समक्ष कई मुश्किल सवाल रखे। बैंकिंग प्रणाली में स्थिति कब तक सामान्य होगी और 50 दिन की निर्धारित अवधि में कितने पुराने नोट जमा हुए, ऐसे कुछ अटपटे सवाल थे जिनका वह कोई सीधा जवाब देने की स्थिति में नहीं दिखे।
समिति के सदस्यों की ओर से अभी पटेल की और खिंचाई होती, इससे पहले मनमोहन ने कहा कि एक संस्थान के रूप में केंद्रीय बैंक और गवर्नर के पद का सम्मान किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में नोटबंदी पर अपने भाषण में इसे ऐतिहासिक विफलता तथा संगठित लूट कह कर इसकी तीखी आलोचना की थी।
उर्जित पटेल ने संसदीय समिति को बताया कि नोटबंदी पर चर्चा पिछले साल जनवरी से जारी थी। आरबीआई गवर्नर का यह बयान समिति को पहले दिए गए उस लिखित बयान के उलट है जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री द्वारा 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों को प्रचलन से हटाने की घोषणा से सिर्फ एक दिन पहले 7 नवंबर को सरकार ने आरबीआई को बड़े रद्द नोटों को रद्द करने की ‘सलाह’ दी थी।