नई दिल्ली: सीबीआइ ने एसडीएम दरियागंज की कोर्ट में बतौर नायब तैनात दिल्ली पुलिस के सिपाही को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार करने का दावा किया। सीबीआइ मामले में मजबूती के साथ अदालत में पेश हुई, लेकिन बचाव पक्ष की तरफ से पेश एक आरटीआइ के जवाब की कॉपी ने सीबीआइ की पोल खोल दी। अदालत ने आरोपी सिपाही को बरी कर दिया। ध्वनि प्रदूषण फैलाने के मामले में उसपर एक व्यवसायी से रिश्वत मांगने का आरोप था।
सीबीआइ के हाजिरी रजिस्टर के रिकॉर्ड से पता चला कि जिस दिन जाल बिछाकर आरोपी सिपाही को पकड़ा गया, उस दिन मान सिंह नामक संयुक्त गवाह सीबीआइ दफ्तर गया ही नहीं था। अमूमन जाल बिछाकर किसी भी शख्स को पकड़ने से पूर्व संयुक्त गवाह के साथ बैठकर कागजी कार्यवाही पूरी की जाती है। पेश मामले में पता चला कि दो मई 2013 से 24 अगस्त 2013 के बीच यह संयुक्त सीबीआइ के दफ्तर में 27 बार गया। 17 अक्टूबर को छापेमारी से दो दिन पहले भी वह सीबीआइ दफ्तर गया, लेकिन घटना वाले दिन वह सीबीआइ दफ्तर गया ही नहीं।
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