नई दिल्ली। भारत के पहले स्वदेशी मानव रहित लड़ाकू विमान ड्रोन ‘रुस्तम-2’ ने बुधवार(16 नवंबर) को पहली बार उड़ान भरी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के बनाए गए इस ड्रोन का परीक्षण कर्नाटक के बंगलौर से 250 किलोमीटर दूरी पर चित्रदुर्गा में किया गया।
यह ड्रोन 24 घंटे तक उड़ान भर सकता है और देश के सशस्त्र बलों के लिए टोही मिशन पर भेजा जा सकता है। इस मानवरहित यान को अमेरिका के प्रिडेटर ड्रोन की भांति मानवरहित लड़ाकू यान के रूप में भी उपयोग में लाया जा सकता है।
जानकारों का कहना है कि इससे मानवरहित वायुयान से जुड़े भारत के विकास कार्यक्रम को नई ऊंचाई मिली है। ये टोही व निगरानी क्षमता के साथ-साथ लक्ष्य पर सटीक मार करने में भी सक्षम है।
इसकी रेंज करीब 250 किलोमीटर बताई जा रही है। सिंथेटिक अपर्चर राडार होने के कारण ये बादलों के पार भी देख सकता है। इतना ही नहीं, 30 हजार फीट पर आसानी से ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। ये दुश्मनों के इलाके में घुसकर टोह लेने, निगरानी रखने और लक्ष्य की पहचान करने उस पर हमला करने में भी सक्षम है।
तापस 201 का डिजाइन डीआरडीओ की बेंगलुरु स्थित प्रयोगशाला एयरोनॉटिकल डिवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट और एचएएल-बीईएल ने मिलकर किया है। इस मानवरहित यान का वजन दो टन है। डीआरडीओ के युवा वैज्ञानिकों की टीम ने इसका परीक्षण किया।