गंगा की निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित करने को मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि इस कार्य को साल 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘‘जब आए हैं तो कुछ करके जाएंगे… या तो गंगा निर्मल होगी या फिर मरके जाएंगे।’’
लोकसभा में सुष्मिता देव, सौगत राय एवं कुछ अन्य सदस्यों के पूरक सवालों के जवाब में जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा नदी में स्वर्ण मछली, महाशिरा, डाल्फिन जैसे जल जंतु ही साबित करेंगे कि गंगा निर्मल हुई, क्योंकि अभी गंगा नदी में अनेक स्थानों पर इन जीवों के अस्तित्व पर संकट छाया हुआ है। कई स्थानों पर प्रदूषण के कारण डाल्फिन अंधी हो गई हैं। हम देख सकने वाली डाल्फिन छोड़ेंगे और अगर वे अंधी नहीं हुई तो नदी की निर्मलता साबित हो जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमने नमामि गंगे योजना के माध्यम से गंगा की निर्मलता और अविरलता को सुनिश्चित करने की पहल की है। उन्होंने कहा कि गंगा में इन जल जंतुओं का फिर से बहाल होना ही यह साबित करेगा कि गंगा निर्मल हो गई है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अक्टूबर 2016 में पहला चरण पूरा हो जाएगा, जबकि अक्टूबर 2018 में दूसरा चरण और 2020 तक नमामि गंगे परियोजना को पूरा होना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री समेत सभी का पूरा सहयोग मिल रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सात जुलाई 2016 को लघु अवधि एवं मध्यम अवधि की 231 परियोजनाएं शुरू की गई हैं। ये परियोजनाएं गंगा तथा इसकी सहायक नदियों के पास स्थित विभिन्न नगरों में शुरू किए जाने वाले नमामि गंगे कार्यक्रम के साथ घाटों, शवदाह गृहों के आधुनिकीकरण और विकास, जैव विविधता केंद्र स्थापित करने, नदी तल की सफाई के लिए ट्रेश स्कीमर का उपयोग करने, सीवेज शोधन संयंत्र स्थापित करने, सीवेज पंपिंग स्टेशन, मछली पालन केंद्र, नालों के अपशिष्ट जल के परिशोधन के लिए प्रायोगिक परियोजनाओं एवं वनीकरण आदि से संबंधित हैं।