दिल्ली
हाल ही के दिनों में मवेशियों को ले जा रहे वाहनों पर कथित गोरक्षकों के हमले बढ़ गए हैं। इन गौरक्षकों के निशाने पर कभी गुजरात में दलित होते हैं तो कभी यूपी महाराष्ट्र में मुस्लिम। आखिर क्या कारण है कि पुलिस भी इन गोरक्षकों पर कारवाई नहीं कर पा रही है, इन घटनाओं को नहीं रोक पा रही है। एनडीटीवी ने इन्हीं मुद्दे को ध्यान में रखते हुए एक तहकीकत किया है। इस स्पेशल रिपोर्ट में चैनल ने दिखाया है कि किस तरह से गौरक्षकों और पुलिस के बीच गठजोड़ है। एनटीवी ने पुणे से चले एक ट्रक जिसमें 10 भैंसे थी, उसी के साथ और पीछा करके इस गठजोड़ का पर्दाफाश किया है। ट्रक के ड्राइवर ने बताया कि वह 20 जानवरों को लाया था। जिसमें से 10 को उसने बेच दिया है बाकि 10 को गांवो की मंडी ले जाकर बेचने की कोशिश करेगा। इस कार्य के लिए उसके पास हर तरह के कागजात मौजूद होते हैं। कानूनी रूप से इस ट्रक के ड्राइवर के पास हर वो कागजात मौजूद होते हैं जिसकी जरूरत महाराष्ट्र में जानवरों को लाने ले जाने के लिए होता है।
पुणे के सतारा जिले से इस ट्रक के कुछ देर चलने के बाद ही सासवद गांव के नजदीक गौ रक्षकों की एक भीड इस ट्रक को रोक लेती है। ये लोग ड्राइवर और रिपोर्टर पर हमला करके उसका मोबाइल भी छीन लेते हैं।
उसके बाद ये लोग इन्हें एक थाने ले जाते हैं। थाने में इनके पहुंचने के साथ ही एक उत्तेजित भीड़ इन्हे घेर लेती है। पुलिस इस भीड़ को शांत करने के लिए हल्का फुल्का प्रयास करती नजर आती है। पुलिस इस ग्रुप के मुखिया जो कि एक हिन्दुत्व संस्था का सदस्य होता है उससे बात करने लगती है। यह शख्स पुलिस को बताता है कि भाजपा और आरएसस के एक नेता पंड़ित परशुराम की सुचना के बाद से ही ये लोग इस ट्रक का इंतजार कर रहे थे। जब चैनल की टीम ने पुलिस से पुछा कि आकिर भीड़ कैसे जबरदस्ती एक ट्रक को रोक सकती है और उनके साथ बदतमीजी कर सकती है। इस पर पुलिस सब इंसपेक्टर ने कहा कि गोरक्षकों ने तो सिर्फ पुलिस को सूचना दी है। जबकि वास्तविकता कुछ और थी। यहां का कानून भीड़ के हाथ में था। जब एनडीटीवी की टीम ने ज्यादा प्रेस किया तब सब इंस्पेक्टर ने कहा कि जरूरत होगी तो वो गौरक्षकों पर कारवाई करेगा। इसके बाद एक सीनियर इंस्पेक्टर ने थाने का चार्ज लिया। तभी एक स्वामी का फोन आता है, पुलिस स्वामी को बताती है कि ट्रक में भैंस है, गाय नहीं, और सारे पेपर भी है। स्वामी से और बातें होती है। बाद में पता चला कि यह स्वामी कोई और नहीं बल्कि शिव शंकर स्वामी थे। स्वामी के बारे में पता चला कि वे पुणे क्षेत्र में जानवरों के कई तबेले चलाते हैं। उनके खिलाफ हत्या की कोशिश सहित कई मुकदमे दर्ज हैं। यही नहीं उन्हें कुछ समय के लिए जिला बदर भी किया गया था। स्वामी से बातें करने के बाद पुलिस ट्रक ड्राइवर के खिलाफ पशु हत्या एक्ट के साथ सात जानवरों के साथ क्रुरता कानून के अंतर्गत केस दर्ज कर लेती है। यहां एफआईआर बनाने में गौरक्षक ही पुलिस की मदद करते हैं। खबर लिखए जाने तक ट्रक को सीज किया जा चुका था, ड्राइवर को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है और जानवरो को गौशाला भेज दिया गया है। काफी कोशिशों के बाद भी इंस्पेक्टर इस मामले पर बोलने को तैयार नहीं है। यही नहीं जिन्होंने भीड़ को इकट्ठा किया, ट्रक पर हमला किया और वहां दंगे जैसे हालात पैदा कर दिए वे छुट्टे घूम रहे थे।
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