इस फैसले से फिलहाल कुछ दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। खास तौर पर जिस तरह से कई उद्योगों में पहले से ही मांग की कमी चल रही है, उससे हालात चालू वित्त वर्ष के दौरान और खराब हो सकती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक एक बार जब सिस्टम में नए नोट पर्याप्त मात्र में आ जाएंगे और सब कुछ पारदर्शी तरीके से होने लगेगा, तब इसका फायदा हर व्यक्ति को मिलेगा। एक आकलन यह भी है कि अभी भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 12 फीसद तक नकदी लेनदेन चलता है, जबकि दूसरे विकासशील देशों में यह 4-5 फीसद ही रहता है। जहां नकदी का इस्तेमाल ज्यादा होता है, वहां मुद्रा का प्रवाह बहुत तेजी से नहीं बढ़ता। लेकिन अब इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से राशि एक से दूसरी जगह जाएगी। इससे अर्थव्यवस्था में तेजी आने में मदद मिलेगी। ज्यादा नकदी का प्रचलन महंगाई को भी बढ़ाने में मददगार होता है।