श्रीनगर : राज्य उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कश्मीर में भीड़ को नियंत्रण करने के लिए सीआरपीएफ द्वारा पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए राज्य व केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन पाल वसंथकुमार और जस्टिस अली मुहम्मद मागरे की खंडपीठ ने मंगलवार को कश्मीर बार एसोसिएशन द्वारा राज्य में पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने संबंधी याचिका को स्वीकारते हुए राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 17 अगस्त तक समय दिया है। कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां क्यूम ने कहा कि पैलेट गन अत्यंत घातक है। यह लोगों को अंधा बनाने के अलावा उन्हें जिंदगी भर के लिए अपंग बना देती है। इससे कई लोगों की जान भी गई है। इसका इस्तेमाल तुरंत बंद होना चाहिए। इसलिए हमने इस पर रोक लगाने के लिए अदालत में जनहित याचिका गत शनिवार को दायर की थी। बार एसोसिएशन ने अपनी याचिका में उन अधिकारियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की है, जिन्होंने आठ जुलाई को शुरू हुए विधि व्यवस्था के संकट में भीड़ नियंत्रण के लिए पैलेट गन के इस्तेमाल का निर्देश दिया है। मियां क्यूम ने कहा हम चाहते हैं कि पैलेट गन के इस्तेमाल से जख्मी हुए लोगों को पूरा मुआवजा देने के अलावा राज्य सरकार अपने खर्च पर उनका राज्य के भीतर और बाहर उपचार कराए। अपनी याचिका में बार एसोसिएशन ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार, राज्य पुलिस महानिदेशक और डीजी सीआरपीएफ को पक्ष बनाया है।