1918 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। गांधी जी ने हिंदी को जनमानस की भाषा भी बताया था। साल 1949 में स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जिसे भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में बताया गया है कि ‘संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।’ क्योंकि यह निर्णय 14 सितंबर को लिया गया था। इसी वजह से इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया। लेकिन जब राजभाषा के रूप में हिंदी चुना गया और लागू किया गया तो गैर-हिन्दी भाषी राज्य के लोगों के बीच से विरोध के सुर भी उठने लगे और फिर अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। यही कारण रहा है कि हिन्दी में भी अंग्रेजी भाषा का प्रभाव पड़ने लगा।