नई दिल्ली। राष्ट्रवादी हिंदू धारणा के जोर पकड़ने के बावजूद एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का गोमांस क्षेत्र कृषि कारोबार में एक महत्वपूर्ण योगदान करता रहेगा। इतना ही नहीं मात्रा के लिहाज से यह वैश्विक गोमांस कारोबार की अगुवाई करेगा।
फिच ग्रुप की फर्म बीएमआई रिसर्च ने एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘सस्ते और भैंस मांस के उत्पादन में भारत की महारत है और वह मात्रात्मक लिहाज से वैश्विक गोमांस कारोबार में अग्रणी बना रहेगा क्योंकि एशिया और पश्चिम एशिया में सस्ते मांस की मांग बढ रही है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि चीन में अवैध व्यापार मार्गों पर भारत की निर्भरता से, तस्करी के खिलाफ संभावित कार्रवाई का जोखिम भी जुड़ा हुआ है।
इसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र में गोवध व गोमांस पर प्रतिबंध लगे हुए लगभग एक साल होने को आया है पर भारत का गोमांस क्षेत्र आज भी सबसे तेजी से बढ़ते कृषि कारोबार बाजारों में से एक बना हुआ है।
इसमें कहा गया है कि ‘राष्ट्रवादी हिंदू भावना के उभार के बावजूद भारत का गोमांस क्षेत्र देश के कृषि कारोबार में चमकता बिंदु बना रहेगा।’ इसके अनुसार भारत में गोमांस की घरेलू खपत बहुत कम होने के कारण उसके पास निर्यात के लिए पर्याप्त मात्रा बचती है। भारत में गोमांस की घरेलू खपत केवल 50 प्रतिशत है, जबकि ब्राजील में यह 80 प्रतिशत तक है।