नई दिल्ली। दुनिया जानती है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानी एनएसजी में भारत की एंट्री रोकने के लिए सबसे बड़ा रोड़ा चीन बना। हालांकि पाकिस्तान ने भी इस मामसे में भारत के खिलाफ पूरा षड़यंत्र रचा। एक तरफ ड्रैगन का डंक तो दूसरी तरफ आस्तीन में छिपे सांप की करतूतों के चलते आखिरकार भारत को एनएसजी में एंट्री नहीं मिल सकी। अमेरिका की लाख कोशिशों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरसक प्रयासों के बावजूद भारत को कामयाबी नहीं मिल सकी। चीन के नेतृत्व में सात देशों ने सोल की बैठक में भारत का विरोध किया। चीन की इस हरकत पर अमेरिका ने भी अफसोस जाहीर किया और कहा कि चीन वह एनएसजी समूह में भारत को शामिल कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही उसने कहा कि बस एक देश के कारण इस पर बनी अंतरराष्ट्रीय सहमति को नहीं तोड़ा जा सकता और जोर दिया कि ऐसे सदस्य को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उपमंत्री टॉम शैनन ने कहा, ‘अमेरिका एनएसजी में भारत का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका के इस शीर्ष राजनयिक ने ‘दुख’ जताया कि सोल में पिछले हफ्ते समूह की सालाना बैठक में उनकी सरकार भारत को सदस्य बनाने में सफल नहीं रही। हम मानते हैं कि सहमति आधारित संगठन में एक देश सहमति को तोड़ सकता है, लेकिन ऐसा करने पर उसे जवाबदेह बनाया जाना चाहिए न कि अलग- थलग किया जाना चाहिए’।
परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में भारत को विश्वसनीय और महत्वपूर्ण शक्ति बताते हुए शैनन ने कहा, ‘हम इस बात पर प्रतिबद्ध हैं कि भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल हो। हमारा मानना है कि हमने जिस तरह का काम किया है, नागरिक परमाणु समझौता, भारत ने जिस तरीके से खुद को नियंत्रण किया है, वह इसका हकदार है।’ एनएसजी में भारत के प्रवेश संबंधी प्रयास पर उन्होंने कहा कि भारत को इस समूह में शामिल किया जाए, इसके लिए अमेरिका लगातार काम करता रहेगा।