सिंधु जल समझौते पर भारत पहले ही विश्व बैंक के रुख का विरोध कर चुका है। विश्व बैंक के दखल पर गुस्साए भारत ने उस पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाते हुए जल समझौते पर मध्यस्थता प्रक्रिया में हिस्सा लेने से ही इनकार कर दिया था। तब जाकर विश्व बैंक ने यह मसला सुलझाने के लिए निष्पक्ष विशेषज्ञ नियुक्त करने की भारत की मांग मानी थी। इसके बाद भारत ने सिंधु आयोग के आयुक्तों की मीटिंग लाहौर में रखने पर भी आपत्ति जताई थी।
विश्व बैंक के सूत्रों ने हालांकि संकेत दिए कि दोनों देशों के बीच यथास्थिति बनी हुई है। बता दें कि उरी में आतंकवादी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार और पूर्वी नदियों के भरपूर इस्तेमाल का का फैसला किया था। पीएम मोदी ने तब कहा था कि ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।’
भारत ने शनिवार को पूर्वी नदियों पर एक बांध के निर्माण कार्य का काम दोबारा से शुरू करने की घोषणा की है। बीते एक दशक से लंबे समय से बांध का निर्माण कार्य रुका हुआ था।