तलाक़ और मुस्लिम शरियत का मामला एक बार फिर गरमा गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि तीन तलाक़ वैध है हालंकि इस्लाम में इसे नापसंद माना जाता है। बोर्ड का तर्क है कि मुस्लिम समुदाय में बिना वजह ट्रिपल तलाक़ से बचने के लिए बड़े पैमाने पर सुधारवादी कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की एक दिवसीय बैठक में आरोप लगाया गया कि पर्सनल लॉ पर हमले का प्रयास किया जा रहा है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बोर्ड की वर्किंग कमेटी के सदस्य कमाल फ़ारुकी ने बताया कि बैठक में फैसला किया गया है कि शरियत में किसी भी तरह का दख़़ल मंज़ूर नही किया जाएगा और मांग की गई कि संविधान में जो संरक्षण दूसरे धर्मो के लोगों को मिला है, वही संरक्षण मुसलमानों को भी मिलना चाहिए।