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एक इंटेलिजेंस अफसर के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के युवाओं का आतंकवाद की ओर जाने की बड़ी वजह वानी की मौत के बाद पैदा हुई स्थानीय भावनाएं हैं। बुरहान वानी के फेसबुक पोस्ट स्थानीय युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय थे। मंगलवार को लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, बुरहान वानी के खात्मे वाले महीने यानी जुलाई 2016 में ही ‘कानून-व्यवस्था’ से जुड़ी 820 घटनाएं दर्ज की गईं। इसके बाद अगस्त में 747 और सितंबर में 535 घटनाएं हुईं। दिलचस्प बात यह है कि 2016 में ही पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ के मामलों में भी तेजी आई। जहां 2015 में घुसपैठ की कोशिशों की 121 घटनाएं हुईं, वहीं यह तादाद 2016 में बढ़कर 371 हो गई।
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