सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के बाद से ही राम मंदिर मामले पर समझौते की कोशिश तेज हो गई है। इस बीच बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा है कि अगर राम मंदिर मसले पर समझौता नहीं बनता है, तो 2018 में राज्यसभा में बहुमत आने पर संसद में कानून लाया जाएगा। लिहाजा मुसलमानों को सरयू नदी के पार मस्जिद बनाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हम 2019 तक राम मंदिर नहीं बनाते हैं, तो जनता इसको लेकर हमारा विरोध करेगी।
स्वामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से आपस में मिलकर राम मंदिर मामले को सुलझाने को कहा है। ऐसे में हम अदालत के बाहर इसके लिए तैयार हैं, लेकिन दूसरा पक्ष अलग-अलग बयानबाजी कर रहा है। हमें संविधान के बारे में जानकारी है। हम जानते हैं कि संविधान के तहत कैसे काम होगा। मामले को अदालत के बाहर सुलझाने का कुछ मुसलमानों के विरोध के बाद स्वामी का यह बयान सामने आया है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले पर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि दोनों पक्ष आपस में मिलकर इस मामले को सुलझाएं। अगर जरूरत पड़ती है, तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता के लिए तैयार हैं। कोर्ट ने कहा कि राम मंदिर का मामला धर्म और आस्था से जुड़ा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि जरूरत पड़ी, तो सुप्रीम कोर्ट के जज इस मामले में मध्यस्थता को तैयार हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को बातचीत के लिए अगले शुक्रवार यानी 31 मार्च तक का समय दिया है।