एम विश्वेश्वरय्या, KCIE जो सर एम.वी के रूप में लोकप्रिय थे एक इंजीनियर, विद्वान, राजनेता और 1912 से 1918 के बीच मैसूर के दीवान थे। इनका जन्म 15 सितम्बर 1861 में मैसूर राज्य में हुआ था। एम विश्वेश्वरय्या ने 12 साल की उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था। उन्होंने चिकबल्लपुर से प्राथमिक स्कूल करने के बाद हाई स्कूल के लिए बैंगलोर में दाखिला लिया। उन्होंने सेन्ट्रल कॉलेज, बंगलौर जो 1881 में मद्रास विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो गया से बी.ए अर्जित किया। और बाद में इंजीनियरिंग, पुणे के प्रतिष्ठित कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग का अध्ययन किया।
विश्वेश्वरैया ने मुंबई के लोक निर्माण विभाग (PWD) में नौकरी की और बाद में भारतीय सिंचाई आयोग में शामिल होने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया था। उन्होंने डेक्कन क्षेत्र में सिंचाई की एक अत्यंत जटिल प्रणाली लागू की। उन्हें 1955 में भारतीय गणतंत्र के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। जनता की भलाई के लिए उनके योगदान के लिए किंग जॉर्ज वी ने उन्हें ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य ( KCIE ) में एक नाईट कमान्डर के रूप में Knight की उपाधि दी गई थी। मैसूर के कृष्णराजसागर बांध (Krishna Raja Sagara) के निर्माण के लिए उन्हें मुख्य इंजीनियर (chief engineer) और हैदराबाद के शहर के लिए बाढ़ सुरक्षा प्रणाली (flood protection system) के मुख्य डिजाइनर (chief designer) के रूप में जाना जाता है।