जानें अर्नब के खुलासे और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का क्या हुआ असर, कैसे दाल-भात-चोखा खाकर बिंदास जिंदगी जी रहे लालू

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लालू
File Photo

BJP नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा एक महीने से ताबड़तोड़ दागा जा रहा ‘खुलासा बम’, फिर एक नए टीवी चैनल द्वारा फेंका गया शहाबुद्दीन ‘बातचीत बम’ और अंत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दागा गया ‘चारा केस बम’ राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को मानसिक रूप से अस्त- व्यस्त करने में नाकाम रहा है। उनके सरकारी रसोइए के हवाले से आ रही खबरों पर भरोसा करें तो जिंदादिल लालू ठाठ से दाल, भात, चोखा खाकर सो रहें हैं और मिलने के लिए आनेवाले शुभचिंतको को आध्यात्मिक मोड में पाठ पढ़ा रहे हैं कि संकट की घड़ी में मनुष्यों को कैसे रहना चाहिए?

आठ मई को जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला टीवी चैनलों पर फ्लैश हुआ तो लालू प्रसाद यादव का इमीडिएट रिएक्शन था, ‘‘मुर्दा पर एक मन माटी डालो या सौ मन, कोई फर्क नहीं पड़ता है।’’ कुछ को छोड़कर पटना के करीब सभी मीडियाकर्मी के लिए लालू का दरवाजा पिछले चार दिन से बंद है। राजद अध्यक्ष अपना ज्यादा समय टीवी पर आ रही खबरों को देखने, खास मित्रों से बतियाने और कुछ वकीलों से सलाह-मशविरा करने में ही बिता रहे हैं। अपने डेली रूटीन में उन्होंने कोई बदलाव नहीं किया है। फैसले के दिन राजद अध्यक्ष ने सुबह के नाश्ता में घर के जांता में पीसा हुआ चने का सत्तू, नमक, प्याज, नींबू और आम की चटनी लिया। लंच का मेनू रहा उसना चावल का भात, अरहर का दाल और बैंगन का चोखा। इसके बाद दो घंटे की नींद।

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दरअसल, वर्ष 1996 से ही लालू प्रसाद यादव चारा घोटला का डंक झेल रहे हैं। घोटाले की अदालती लपटें सहते-सहते 20 वर्षों में उनका तन और मन दोनों मजबूत हो गया है। वो अच्छी प्रकार से समझ गए हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी अपने को कैसे मानसिक रूप से फिट-फाट रखा जाता है। अपने एक घनिष्ठ मित्र से कुछ दिन पहले लालू प्रसाद यादव ने कहा था ‘‘सामने आ रही समस्या में ज्यादा दिमाग लगाइएगा या अपने को उसमें उलझाइएगा तो महमंडे फट जाएगा।’’

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बात पुरानी है। लालू प्रसाद यादव के पैर में हेयरलाइन फ्रैक्चर हो गया था जिसके कारण वो लंगड़ाकर चलते थे। सीएम आवास के एक कोने में अचानक शॉट सर्किट से आग लग गई लेकिन लालू बेचैन नहीं हुए। पूछने पर बताया ‘‘जो होना है सो अटल है तो चिंता काहे का। अब देखो न, रावण वध के दिन हनुमान का रोल अदा करनेवाला बालक मेरे कान में बोला कि जय हनुमान बोलकर अगर मैं ट्रैक्टर के ट्रॉली से नीचे कूद जाऊं तो चारा घोटाला से मुक्त हो जाऊंगा। मुक्ति मिलेगी कि नहीं ये तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन टांग तो टूट गई।’’

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बिना प्याज डाले अंडा का आमलेट बनाने और खाने के शौकीन लालू प्रसाद यादव को शारीरिक तकलीफ, इन टर्म्स ऑफ बीमारी के पीछे का मुख्य कारण है, उनका जीभ पर कंट्रोल नहीं होना। उनके घर में काम करने वाला एक बटलर बताता है, ‘‘डाक्टरों की सलाह और पत्नी की मधुर मनाही के बाद भी नॉनभेज फुड की तरफ साहब ऐसे टूटते हैं जैसे दुश्मन-दुश्मन पर टूटता है।’’ दरअसल, लालू प्रसाद यादव स्वभावतः मस्त जिंदगी जीते हैं तभी तो किसी भी प्रकार का ‘बम’ उनके मन को घायल करने में सफल नहीं होता है।

साभार- जनसत्ता डॉट कॉम