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भाषा की खबर के अनुसार, शोधकर्ताओं ने भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों को देखा और देशभर की 75,000 महिलाओं के पूछे गए सवालों के जवाबों का विश्लेषण किया। उनसे पूछा गया था कि उनके घर में शौचालय है या नहीं और उन्हें किस-किस किस्म की हिंसा का सामना करना पड़ता है। प्रमुख शोधकर्ता अपूर्वा जाधव ने कहा, “इससे पहले के स्वच्छता शोधों में से किसी में भी शौचालय की उपलब्धता और महिलाओं के यौन हिंसा के शिकार होने के बीच संबंध को नहीं तलाशा गया।” शोध के मुताबिक भारत में स्वच्छता उद्देश्यों के लिए खड़े किए गए ढांचों में से कम से कम 50 फीसदी का इस्तेमाल ही नहीं किया जाता या फिर उनका किसी अन्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल हो रहा है। लगभग आधा अरब भारतीय खुले में शौच जाते हैं और लगभग 30 करोड़ महिलाओं और लड़कियों के पास स्नानघर की सुविधा नहीं है।
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