सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत के आधार पर अपने फैसले में कहा कि धर्म के आधार पर वोट देने की कोई भी अपील चुनावी कानूनों के तहत भ्रष्ट आचरण के बराबर है। शीर्ष न्यायालय ने बहुमत के आधार पर व्यवस्था दी कि चुनाव कानून में ‘उनका’ शब्द का अर्थ व्यापक है और यह उम्मीदवारों, मतदाताओं, एजेंटों आदि के धर्म के संदर्भ में है।
बहुमत का विचार हालांकि यह था कि चुनाव कानून में ‘उनका’ शब्द केवल उम्मीदवार के संदर्भ में है। शीर्ष न्यायालय में बहुमत का विचार प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर, न्यायमूर्ति एल एन राव, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे का था, जबकि अल्पमत का विचार न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति ए के गोयल और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ का था।
चुनाव आयोग के मुताबिक धर्म के नाम पर चुनाव प्रचार नहीं किया जा सकता है। आयोग ने पहले ही इसे लेकर नियम तय किया हुआ है लेकिन फिर भी ऐसा होता है क्योंकि इस पर कानून साफ नहीं था। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इसे ही परिभाषित किया।