उन्होंने बताया कि सर्वे में एक लाख से ज्यादा लोगों ने अलग-अलग प्रश्नों के सेट का उत्तर दिया। सर्वे के मुताबिक सिर्फ 12% नागरिकों ने कहा कि उनके नगरीय निकाय प्रभावशाली तरीके से फॉगिंग करवा रहे हैं और पानी से होने वाली बीमारियों को लेकर जागरुक हैं, जबकि 23% लोगों ने कहा कि कूड़े से जुड़ी शिकायतों और सड़कों पर साफ-सफाई को लेकर नगरीय निकाय पहले के मुकाबले कुछ जिम्मेदार हुए हैं। जिन शहरों में काफी सुधार देखने को मिला उनमें बेलगाम, मैंगलोर, उदयपुर, कोयंबटूर, मदुरै, हैदराबाद, देहरादून और कोलकाता शामिल हैं।
सर्वे में कुछ और सकरात्मक बातें भी निकलकर सामने आई हैं। 20% लोगों ने कहा कि दो साल पहले स्वच्छ भारत अभियान के शुरू होने के बाद उनके शहर में पब्लिक टॉयलेट का उपलब्धता बढ़ी है। 44% लोगों ने महसूस किया कि इस अभियान की वजह से स्कूली बच्चों में जागरुकता, साफ-सफाई की समझ और सिविक सेंस बेहतर हुआ है। इसी तरह 40% लोगों ने कहा कि आम नागरिकों के सिविक सेंस में भी इस अभियान के की वजह से सुधार हुआ है।