मोदी के दो सूरमाओं के बीच ‘दंगा’, एक ने कहा ‘करो’, दूसरे ने कहा ‘नहीं करूंगा’

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बता दें कि यह फिल्म मिलन भौमिक ने बनाई है और यह कोलकाता में हुए दंगों पर आधारित है, जो 16 अगस्त 1946 को शुरू हुए थे। कांग्रेस द्वारा पाकिस्तान बनाने के मुस्लिम लीग के प्रस्ताव को खारिज किए जाने के बाद दंगे भड़के थे।चौहान ने बताया कि बिना इतिहासकारों से सलाह-मशविरा किए बगैर सेंसर बोर्ड का यह तय करना कि हत्याएं नहीं हुईं, गलत है। चौहान का कहना था कि कोलकाता में हुई हत्याओं पर रिसर्च करने के बाद ही उन्होंने इस रोल को लिया था। उन्होंने बताया, ‘मैंने गहन रिसर्च की थी और खुद को उस किरदार में ढालने के लिए कड़ी मेहनत की, जिनका मैं काफी सम्मान करता हूं। कभी-कभी तो मुझे लगा कि श्यामा प्रसाद की मुखर्जी की आत्मा मेरे अंदर प्रवेश कर गई है। इस प्रोजेक्ट में मेरी सहभागिता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है।’

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चौहान ने कहा कि फिल्म में वही दिखाया गया है, जो हुआ था। उन्होंने कहा, ‘मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कारण ही बंगाल भारत का हिस्सा है। जिन्ना पश्चिम बंगाल को पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहते थे और श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी।’

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