जहीर पाकिस्तानी सेना से 2014 में रिटायर हुआ था। खबरों के अनुसार वो उसके बाद से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए छिपे तौर पर काम करता था। जहीर ने 2015 में जाधव को अपने परिवारवालों से बात करते हुए सुना और उसके बाद उसका पीछा करने लगा। एक भारतीय अधिकारी ने बताया, “जाधव के पास हुसैन मुबारक पटेल के नाम से जारी भारतीय पासपोर्ट था जिससे वो ईरान में अपना कारोबार करता था। पाकिस्तानियों ने उसे अपने परिवार से मराठी में बात करते सुन लिया। जहीर जाधव का पीछा करने लगा। उन्होंने जाल बिछाया और मार्च 2016 में जाधव को पकड़ लिया गया।”
सूत्रों के अनुसार जहीर को नेपाल “एक बड़ी मछली” फंसने का लालच देकर बुलाया गया। जिस आदमी ने जहीर को ये सूचना दी उसने ब्रिटेन के फोन नंबर से उसे “एक जासूस के बारे में” जानकारी दी। उसने जहीर से ओमान में एक-दो बार मुलाकात भी की। जहीर ओमान में दो अप्रैल को पहुंचा और अगले दिन वो काठमांडू पहुंच गया। नेपाल के भैरवा में उसे एक सिम कार्ड दिया गया। उससे कहा गया कि इस सिम कार्ड से वो वांछित व्यक्ति से संपर्क कर सकता है। उसके बाद उसे सीमा के करीब लुंबिनी बुलाया गया जहां से वो गायब हो गया।