सबसे पहले सीआरपीएफ की कांस्टेबल कमलेश कुमारी ने आतंकियों को देखा और तत्काल अलार्म बजाया। आतंकियों की गोली में मौके पर उनकी मौत हो गई। एक आतंकी को जब गोली मारी गई तब उसकी सुसाइड वेस्ट से विस्फोट हो गया और बाकी चार आतंकियों को भी सुरक्षाबलों ने मौत के घाट उतार दिया।
Delhi: Homage being paid to security personnel who lost their lives during 2001 Parliament attack pic.twitter.com/sC9NxaDmPo
— ANI (@ANI_news) December 13, 2016
Delhi: Leaders arrive in Parliament to pay homage to security personnel who lost their lives during 2001 Parliament attack pic.twitter.com/bEuP4MBo7J
— ANI (@ANI_news) December 13, 2016
इसका मुख्य साजिशकर्ता अफजल गुरु को माना जाता है। जैश-ए-मुहम्मद के गाजी बाबा के कहने पर संसद पर हमले की योजना बनाई। जिसके बाद अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट में भी फांसी को बरकरार रखा और दया याचिकाएं खारिज कर दी। नौ फरवरी, 2013 को अफजल गुरु को फांसी दे दी गई।
दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोसेफर एसएआर गिलानी को भी निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। लेकिन उच्च अदालत में सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया।
दिल्ली के मुखर्जी नजर में पांचों आतंकियों के लिए रहने के इंतजाम करने का आरोपी शौकत हुसैन को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। बाद में उस सजा को दस साल की कैद में बदला गया। अच्छे आचरण के चलते जेल में सजा पूरी होने से नौ महीने पहले ही रिहा कर दिया गया।
शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे संसद सदस्यों ने उनके सम्मान में कुछ पल का मौन रखा। संसद भवन परिसर में एक रक्तदान शिविर भी आयोजित किया गया।मोदी ने संसद भवन परिसर में मृतकों की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने बाद में ट्वीट किया कि वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले के दौरान अपना जीवन कुर्बान करने वाले शहीदों को सलाम। उनकी बहादुरी को कभी भुलाया नहीं जाएगा।