संसद के इतिहास का सबसे काला दिन, आज ही के दिन हुआ था लोकतंत्र के मंदिर पर हमला

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देश ने आज उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने साल 2001 में हुए आतंकी हमले में संसद को बचाने के लिए अपनी जान गंवा दी थी। संसद भवन पर आतंकी हमले की आज 15वीं बरसी है। संसद भवन परिसर में इस हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी तथा अन्य संसद सदस्यों ने संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

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श्रद्धांजलि आयोजन में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरूण जेटली और सूचना तथा प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू भी शामिल थे।

13 दिसंबर 2001 को आतंकियों ने भारतीय संसद पर हमला किया था। उस आतंकी हमले में दिल्‍ली पुलिस के छह सदस्‍य, दो पार्लियामेंट सेक्‍योरिटी सर्विस के सदस्‍य शहीद हुए थे। संसद परिसर का एक कर्मचारी भी मारा गया। जवाबी कार्रवाई में पांचों आतंकी ढेर कर दिए गए। उस हमले के बाद भारत-पाकिस्‍तान तनाव चरम पर पहुंच गया था और भारत ने पश्चिमी मोर्चे पर सैन्‍य गतिविधियों को बढ़ा दिया था।

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आतंकी संगठनों लश्‍कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्‍मद के पांच आतंकी दोपहर 11.40 बजे डीएल-3सीजे-1527 नंबर वाली अंबेसडर कार से संसद भवन के परिसर में गेट नंबर 12 की तरफ बढ़े। गृह मंत्रालय और संसद के लेबल वाले स्‍टीकर गाड़ी पर लगे होने के कारण प्रवेश मिल गया। उससे ठीक पहले लोकसभा और राज्‍यसभा 40 मिनट के लिए स्‍थगित हुई थी और माना जाता है कि तत्‍कालीन गृह मंत्री लालकृष्‍ण आडवाणी समेत करीब 100 संसद सदस्‍य उस वक्‍त सदन में मौजूद थे।

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