विदाई भाषण में बोले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ” समाज को हिंसा से मुक्त होना चाहिए “
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Source: ABP NEWS
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को देश के नाम अपने आखिरी संबोधन में कहा कि भारत की आत्मा बहुलवाद और सहिष्णुता में बसती है। राष्ट्रपति ने देश में बढ़ती हिंसा पर चिंता भी जताई और फिर से महात्मा गांधी के अहिंसा के मार्ग को अपनाने की अपील की। राष्ट्रपति ने वाद-विवाद पर भी जोर दिया।
मुखर्जी ने कहा, ‘मैं भारत के लोगों का सदैव ऋणी रहूंगा। जब मैं 5 साल पहले राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तो संविधान की रक्षा का भी शपथ ली थी। पिछले 5 सालों में मैंने देश के संविधान की रक्षा के लिए हरसंभव कोशिश की। मैं अपने कार्यकाल के दौरान कई जगहों की यात्रा की। बुद्धिजीवियों, छात्रों से मिला और उनसे काफी कुछ सीखा। मैंने बतौर राष्ट्रपति खूब प्रयास किए। मैं अपने प्रयासों में कितना सफल हो पाया यह तो अब इतिहास में ही परखा जाएगा। संविधान मेरा पवित्र ग्रंथ रहा है। भारत की जनता की सेवा मेरी अभिलाषा रही है।’