रणथंभोर की मशहूर शेरनी मछली गुरुवार (18 अगस्त) को मर गई। वह इसी साल मई में 20 साल की हुई थी। मछली ने पिछले पांच दिनों से कुछ नहीं खाया था। मछली को T 16 के नाम से भी जाना जाता था। उसके चेहरे पर मछली की तरह दिखने वाले ‘निशान’ थे इस वजह से ही उसका नाम मछली पड़ा था। मछली दुनिया भर की सबसे मशहूर शेरनी थी। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बार उसकी ही फोटोग्राफ खींची गई है। ये कहना गलत नहीं होगा कि उसने रणथंभोर की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि उसकी वजह से ही रणथंभोर हर साल लगभग 66 करोड़ रुपए का कारोबार करता था।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए राजपाल सिंह ने कहा कि उन्होंने मछली को 1998 में पहली बार देखा था। उस वक्त वह अपनी मां के साथ राजस्थान के झलारा इलाके में घूम रही थी। तब वह इलाका रणथंभोर नेशनल पार्क में नहीं जोड़ा गया था। लेकिन जब इलाका जोड़ लिया गया तब से अबतक मछली को कभी वहां से बाहर नहीं निकाला गया। राजपाल नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी में अधिकारी हैं।
मछली को शेरनियों की रानी भी कहा जाता था। इतना ही नहीं उसका एक फेसबुक पेज भी बना हुआ है। रणथंभोर में शेर के जितने भी बच्चे हैं उनमें से 60 प्रतिशत उसी के हैं। एक बार तो वह एक 14 फीट के मगरमच्छ से भी लड़ गई थी। कहा जाता है कि उससे वहां के शेर भी डरते थे। उन्हें मछली नाम अपनी मां से मिला था। उनके भी ऐसे ही निशान थे।