राहुल ने कहा कि मोदी की छवि और उनके कामों में विरोधाभास दिखता है। उन्होंने कहा, ’15 लाख का सूट और चरखा…मतलब जो कॉन्ट्रडिक्शन है। चरखे का मतलब गरीब लोगों का खून पसीना होता है।’ मंच पर आगे आकर अपना कुर्ता दिखाते हुए राहुल ने कहा, ‘मेरे पॉकेट का कुर्ता फटा हो तो मुझे फर्क नहीं पड़ता, लेकिन मोदी जी का कपड़ा कभी नहीं फटता होगा और वो गरीब की राजनीति करते हैं।’
अपने भाषण की शुरुआत में राहुल ने कहा कि वह पिछले कुछ समय से यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि बीजेपी किसी बर्बाद करना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘पिछले 7-8 महीने से मैं यह शोध कर रहा हूं, यहां तक कि मैंने गूगल में भी अपनी पार्टी के बारे में देखना चाहा कि आखिर वह क्या है जिसे बीजेपी-आरएसएस खत्म करना चाहते हैं। आजादी के बाद 52 साल तक नागुपर के आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा नहीं था। वे भगवा झंडे को सल्यूट करते थे, तिरंगे को नहीं।’































































