रेलमंत्री सुरेश प्रभु देश का पहला हरित रेलगाड़ी गलियारा का उद्घाटन करेंगे

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नई दिल्ली:
केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु देश का पहला हरित रेलगाड़ी गलियारा का उद्घाटन करेंगे। सुरेश प्रभु स्वच्छ बारत की दिशा में इस यात्रा की शुरूआत करेंगे। इसका उद्घाटन रेलमंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग क जरिए करेंगे। सुरेश प्रभु रविवार को ‘रामेश्वरम- मानामदुरै’ नामक प्रथम हरित रेलगाड़ी गलियारा का उद्घाटन करेंगे। रेल मंत्रालय ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत अपने सभी डिब्बों में मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त जैव शौचालय उपलब्ध कराने का एक अहम कार्य प्रारंभ किया है और इस कार्य को सितंबर, 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा। रामेश्वरम-मानामुदुरै (114 किमी) ट्रैक की पहचान इसे रेलगाड़ियों से मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त हरित रेलगाड़ी गलियारा बनाने के लिए की गई। इसी के अनुरूप, 286 डिब्बों से निर्मित इस खंड में चलने वाली 10 यात्री गाड़ियों में जैव शौचालयों का प्रावधान किया गया है।

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सभी रेल डिब्बों में जैव शौचालयों के प्रावधान से रेलगाड़ियों से जमीन पर मानव अपशिष्ट निर्वहन पूरी तरह रुक जाएगा, जिससे सफाई एवं स्वच्छता को बेहतर करने में मदद मिलेगी।

रेल मंत्रालय ने पहले ही 30 जून, 2016 तक अपने डिब्बों में 40750 जैव शौचालयों का प्रावधान कर दिया है और चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय रेल की अतिरिक्त 30,000 जैव शौचालय लगाने की योजना है।

रामेश्वरम-मानामुदुरै के बाद, ओखला-कनालास जंक्शन (141 किमी), पोरबंदर-वंशजलिया (34 किमी) एवं जम्मू-कटरा (78 किमी) खंडों को भी रेलगाड़ियों से मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा। इसके लिए लगभग 1110 डिब्बों से निर्मित करीब 35 रेलगाड़ियों में जैव शौचालयों का प्रावधान किया जाएगा एवं इस पर कार्य वर्तमान में जारी है।

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इन खंडों और स्टेशनों का इसलिए चयन किया गया है क्योंकि इन खंडों और स्टेशनों से चलने वाली और यात्रा समाप्त होने वाली रेलगाड़ियों की संख्या कम है जिससे मानव अपशिष्ट निर्वहन मुक्त बनाने का काम आसानी से और शीघ्रतापूर्वक हो सकता है।

भारतीय रेल ने यात्रियों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करने तथा स्टेशन परिसरों/पटरियों को स्वच्छ बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए अपने यात्री डिब्बों में पर्यावरण अनुकूल जैव शौचालयों का विकास किया है।

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इस प्रौद्योगिकी का विकास भारतीय रेल (आईआर) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से एक एमओयू के द्वारा रेल यात्री डिब्बों के लिए किया है।

यह पर्यावरण अनुकूल, किफायती एवं मजबूत प्रौद्योगिकी विश्व में रेल प्रणालियों में अपनी तरह की पहली प्रौद्योगिकी है। जैव शौचालय लगे डिब्बों में मानव अपशिष्ट का संग्रहण शौचालयों के नीचे लगे टैंकों में किया जाता है तथा इसे बैक्टीरिया के एक कंसोर्टियम द्वारा डी-कंपोज किया जाता है।