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दोनों लड़कों ने यह भी दावा किया कि परेड में शामिल छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा शख्स फुल पैंट को पहनकर परेड करने में मुश्किल महसूस कर रहा था। एक दूसरे शख्स ने कहा कि फुल पैंट के मुकाबले हाफ पैंट में एक्सरसाइज करना ज्यादा आसान होता था।
इसके अलावा कुछ लोग नागपुर के गर्म मौसम में फुल पैंट को बिना मतलब का बता रहे हैं। हालांकि, RSS के सीनियर लोगों का कहना है कि उन्होंने फुल पैंट को रोज लगने वाली शाखाओं में जरूरी नहीं किया है। फुल पैंट सिर्फ विजय दशमी या फिर तीन साल में एक बार होने वाले खास प्रोग्राम में ही पहनने के लिए होंगी।
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