उन्होंने कहा कि सवाल राष्ट्रपति पद के चुनाव का है और यहां नैतिककता का सवाल अहम है क्योंकि ऐसे पद के लिए उन लोगों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए जिनके खिलाफ दो समुदायों में नफरत फैलाने वाले भड़काऊ भाषण व बाबरी गिराने की साजिश का आरोप हो। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद की गरिमा है और इन आरोपों के साथ उस पद के लिए चुनाव लड़ना नैतिकता के खिलाफ है। हालांकि कानूनी तौर पर कोई अड़चन नहीं है क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है कि जिसके खिलाफ मामला चल रहा हो वह चुनाव नहीं लड़ सकता। सुप्रीम कोर्ट के ऐडवोकेट एमएल लाहोटी बताते हैं कि यह पूरा मामला अब नैतिकता का ही है। मामले में शिकायती कोई व्यक्ति नहीं है बल्कि सीबीआई की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पारित किया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने जब साजिश के आरोपों के मामले में भी ट्रायल चलाने की बात कही है तो अब राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के कयास पर विराम लग जाना चाहिए।