फिलहाल सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (सीबीएसई) से मान्यता प्राप्त स्कूलों में ही आठवीं तक के स्टूडेंट्स को इंग्लिश पढ़ाई जानी जरूरी है। लेकिन 9वीं से 12वीं तक सीबीएसई बोर्ड में भी इंग्लिश पढ़ना जरूरी नहीं है। तब स्टूडेंट्स हिंदी या फिर इंग्लिश में से किसी एक को चुन सकते हैं।
दरअसल इससे पहले शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (SSUN) नाम के संगठन ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि सभी स्कूलों में उच्च स्तर के लिए प्राथमिक भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाई जानी चाहिए। साथ ही कहा गया था कि इंग्लिश पढ़ना किसी के लिए किसी भी स्तर पर जरूरी नहीं होना चाहिए। SSUN राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से मान्यता प्राप्त संस्थान है।
मिले कुछ और भी सुझाव: सचिवों द्वारा पीएम को कुछ और भी सुझाव दिए गए हैं। कहा गया है कि किसी थर्ड पार्टी द्वारा सालाना सर्वे करवाकर यह भी देखा जाना चाहिए कि सरकरी नीतियों को क्या प्रभाव पड़ रहा है।