अब सेक्शुअल फेवर लेना भी जुर्म होगा अगर काम के बदले आप भी लेते है सेक्शुअल फेवर तो जरा संभल जाइये क्योंकि सेक्शुअल फेवर की मांग भी जल्द ही रिश्वत मानी जा सकती है। ऐसा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी होगी। राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी ने एंटी करप्शन के नए बिल पर अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिशें की हैं। इसके तहत पहली बार प्राइवेट सेक्टर को शामिल करने का प्रपोजल है। प्रपोजल में ‘अनुचित फायदा’ (Undue Advantage) का भी जिक्र किया गया है। इसका मकसद यह है कि सेक्शुअल फेवर जैसी चीजों को रोका जा सके।
सरकार अब प्राइवेट सेक्टर के करप्शन को भी कानून के तहत लाने पर विचार कर रही है। बता दें कि करप्शन को एंटी करप्शन लॉ-1988 के तहत कवर किया गया है। पिछले साल सरकार ने एंटी करप्शन (अमेंडमेंट) बिल- 2013 को पेश करने का फैसला किया था। बिल में करप्शन से रिलेडेट क्राइम को बताने वाले टर्म ‘फाइनेंशियल और अदर एडवांटेज’ का जिक्र किया है। इसमें साफ नही होता है कि अदर एडवांटेज का दायरा क्या है? ऐसे में पिछले साल लॉ कमीशन ने सुझाव दिया था कि ‘फाइनेंशियल और अदर एडवांटेज’ को हटा दिया जाए और ‘अनुचित लाभ’ यानी (Undue Advantage) को शामिल किया जाए। कमेटी ने इस सिफारिश को कुछ हद तक सही माना है। इसका मतलब है कि किसी भी तरीके से सेटिसफाइ किया जाना क्राइम होगा। इस तरह से किसी काम के बदले सेक्शुअल फेवर देना भी इसमें शामिल होगा।
कमेटी ने इस मामले में एक शंका भी जाहिर की है। इसका कहना है कि प्रपोज्ड अमेंडमेंट में ‘अनुचित’ यानी (Undue Advantage) वर्ड का मतलब आर्थिक और गैर-आर्थिक फायदे हैं। इसका दायरा इतना बड़ा है कि सिक्युरिटी एजेंसियां इसका दुरुपयोग कर सकती हैं। कमेटी ने इस मामले में सावधानी बरतने को कहा है। इस अमेंडमेंट बिल को अगले सेशन में राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। इस नए बिल में जुर्माने के साथ-साथ 7 साल तक कैद की सजा का प्रोविजन भी है। साथ ही रिश्वत देने वाले को भी सजा दिए जाने का प्रोविजन है।
इस कानून में अभी तक सिर्फ सरकारी इम्प्लाइज के करप्शन को शामिल किया जाता रहा है। इससे पहले प्राइवेट कंपनियां, उसके अफसर और लोग इसके दायरे में नहीं आते थे। लेकिन इस नए कानून के तहत किसी कंपनी का इम्प्लाई यदि किसी सरकारी इम्प्लाई को रिश्वत देने की कोशिश करता है, तो इम्प्लाई के साथ साथ कंपनी भी जिम्मेदार होगी।