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संपादकीय में कहा गया है कि सच तो यह है कि पिछले ढाई सालों में कश्मीर घाटी मे सर्वाधिक जवान शहीद हुए हैं। पाकिस्तान जैसे छटांक भर देश द्वारा भारत में बार-बार आतंकवादियों को घुसाकर हमारे जवानों के हत्याकांड अंजाम दिए जा रहे है और हम मौन रहे। कब तक जवानों की लाशें गिनते रहेंगे और कितने सालों तक बर्दाश्त करते रहें। बीच मे किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी अब तक 70 से अधिक जवान मारे गए हैं।
‘सामना’ में आगे लिखा है कि किसी भी प्रकार का युद्ध किए बिना हमारे जवानों को अपना बलिदान देना पड़ रहा है। समय बताकर नहीं आता यह सही है, लेकिन पठानकोट से उरी तक पाकिस्तानियों ने कहकर और तय करके हमले किए। हम ताकत का इस्तेमाल कब करें, इसके लिए उचित मुहुर्त ढुंढते रहे तो यह उचित नहीं।
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