नए सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने कहा है कि हमारी सेना पाकिस्तान और चीन से एक साथ जंग लड़ने के लिए तैयार है लेकिन चीन से टकराव की जगह सहयोग के रास्ते तलाशे जाने चाहिए। सेना प्रमुख बनाए जाने के तीसरे दिन ही जनरल रावत ने सोमवार को कहा कि भारत दोनों मोर्चों पर दुश्मनों से निपटने में सक्षम है लेकिन वह किसी भी देश से युद्ध नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम बीजिंग के साथ टकराव नहीं बल्कि सहयोग का रुख रखना चाहते हैं। सेना प्रमुख का यह बयान बीजिंग की उस प्रतिक्रिया के बाद आई है जिसमें चीन ने भारत द्वारा अग्नि-5 मिसाइल के प्रक्षेपण पर सवाल खड़े किए थे।
जनरल रावत ने कहा है, ‘सर्जिकल स्ट्राइक से भी बेहतर तरीके हैं, जिनसे उसी जैसा संदेश दिया जा सकता है। यह हमारी सेना के लिए भविष्य का हथियार होगा, यह कहना सही नहीं होगा। सर्जिकल स्ट्राइक सिर्फ एक पहलू है, इसके अलावा कई और रास्ते भी हैं।’
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘अगर हमारा दुश्मन टेरर को सपॉर्ट करे तो हमारी रणनीति साफ है, हम बल प्रयोग करेंगे। हम अपनी जरूरतों के हिसाब से इसका इस्तेमाल करेंगे। मुझे लगता है कि इसके लिए हमें सरकार ने फ्री हैंड दे रखा है।’ पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ जनरल बाजवा के बारे में उन्होंने कहा, ‘हम दोनों एक-दूसरे की क्षमताओं को समझते हैं और इसी संदेश के साथ दोनों आगे बढ़ें तो शांति रहेगी।’
सेना के बेस कैंपों पर हमले के सवाल पर जनरल रावत ने कहा, ‘आतंकवादी हमलों के अपने तरीके बदल रहे हैं और ऐसा पूरी दुनिया में हो रहा है। हमारे यहां देखने में आया है कि मिलिटरी कैंपों पर हमले हो रहे हैं। हमें सोच में उनसे आगे रहना होगा, हमें जानना होगा कि उनका अगला कदम क्या होगा। सरकार ने हमें कुछ गाइडलाइंस दी हैं और हमें उम्मीद है कि हम ऐसे हमलों पर काबू पा सकेंगे।’