नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि किसी व्यक्ति को ट्रांसजेंडर होने का प्रमाणपत्र देने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों की है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा के समक्ष दाखिल एक हलफनामे में यह बात कही जो शहर के दो ट्रांसजेंडरों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं। इनमें सरकारी रिकॉर्ड में उनका नाम बदलने और लिंग महिला से पुरष करने की मांग की गयी है।
मंत्रालय ने कहा कि अक्तूबर 2013 में ट्रांसजेंडर समुदाय की समस्याओं का गहराई से अध्ययन करने के लिए बनाई गयी समिति ने सिफारिश की है कि किसी व्यक्ति के ट्रांसजेंडर होने का प्रमाणपत्र संबंधित राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा जारी किया जाना चाहिए।
मंत्रालय की ओर से केंद्र सरकार की स्थाई वकील मोनिका अरोरा ने उक्त तर्क के साथ दोनों ट्रांसजेंडरों की याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है। मंत्रालय ने पहले अदालत में कहा था कि संसद में दो अगस्त को एक विधेयक पेश किया गया था, जिसमें दोनों लोगों द्वारा उनकी याचिका में उठाए गये सभी मुद्दों का ख्याल रखा गया है।
याचिकाकर्ताओं ने अधिकारियों द्वारा भेदभाव किए जाने का आरोप लगाया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक जांच की मांग की।