पत्रकारों का आरोप, नोटबंदी पर की थी नेगेटिव कवरेज, RBI ने इस तरह लिया बदला

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बुधवार को आरबीआई ने प्रेस कांफ्रेंस से दो ब्रिटिश मीडिया संस्थान के पत्रकारों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी। उन्हें कांफ्रेंस में हिस्सा लेने से ही मना कर दिया गया। दोनों पत्रकार ‘द इकोनॉमिस्ट’ और ‘बीबीसी वर्ल्ड सर्विस’ से हैं।

जिसके बाद ‘द इकॉनमिस्‍ट’ के पत्रकार स्‍टैनली पिग्‍नल का आरोप है कि उन्हें RBI ने नेगेटिव रिर्पोटिंग के डर से कवरेज करने से मना कर दिया और अंदर ही नहीं आने दिया। पिग्‍नल ने ट्विट कर लिखा, ‘आरबीआई पॉलिसी मीटिंग प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के लिए द इकॉनमिस्‍ट को अब न्‍योता नहीं मिला। मुझे अंदर नहीं जाने दिया किया। पारदर्शिता के लिए दुखद दिन। मैं प्रेस से बातचीत न करने को लेकर नए गवर्नर की आलोचना करता रहा हूं, प्रेस कॉन्‍फ्रेंस से अलग करने की उम्‍मीद आरबीआई से नहीं थी। जाहिर तौर पर, यह उन्‍होंने किया है।’

स्‍टैनली ने एक और ट्वीट कर लिखा, ‘जून में आरबीआई गवर्नर के इंटरव्‍यू की इजाजत मिलने से लेकर नवंबर में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कवर करने से हटाया जाना कमाल है। कोई चेतावनी/धमकी नहीं।’

स्‍टैनली ने कहा कि, ‘आरबीआई प्रवक्‍ता कहते हैं कि मुझे न बुलाने का द इकॉनमिस्‍ट की विमुद्रीकरण पर (आलोचनात्‍मक) कवरेज से कोई लेना-देना नहीं है।’

वहीं दूसरी और ‘बीबीसी’ के समीर हाशमी ने भी ‘बीबीसी’ को इसे दूर रखने के बारें में बताया और इसे पारदर्शिता के लिए दुखद दिन बताया। उन्होंने टिवीट कर लिखा इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस से ‘बीबीसी’ को भी आने की अनुमति नहीं दी गई। जो पारदर्शिता के लिए दुखद दिन है।

समीर हाशमी ने कहा कि आज अचानक से ऐसा क्या हुआ कि RBI की प्रेस काॅन्‍फ्रेंस में भाग नहीं ले सके जबकि इससे पहले पूर्व में कई बार हमने रघुराम राजन के साक्षत्कार किए है।

उन्होंने कहा कि ये अभूतपूर्व कदम है की RBI गर्वनर की प्रेस काॅन्‍फ्रेंस में केवल कुछ चुनिंदा मीडिया घरानों को ही बुलाया गया है।

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