मुंबई : मुंबई में तुर्की महावाणिज्य दूतावास ने चेतावनी दी है कि 15 जुलाई को तुर्की के राष्ट्रपति तय्यीप एर्दुवां के खिलाफ जिस संगठन ने तख्तापलट की कोशिश की, उसका गहरा संबंध मुंबई से भी है। दूतावास के मुताबिक मुंबई के अलावा भारत कई हिस्सों में इस संगठन की मौजूदगी है। काउंसल जनरल अर्डल सबरी अर्गन ने आरोप लगाया है कि फतेउल्लाह आतंकवादी संगठन (FETO) के मुंबई और भारत के अन्य हिस्सों में कई शैक्षणिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक संस्थाओं के रूप में संगठन का मजबूत नेटवर्क है। मुंबई में तुर्की के काउंसल जनरल ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा है कि तुर्की में तख्तापलट करने की कोशिश करने वाले इस संगठन ने भारत में अपनी जड़ें जमा ली हैं और इससे भारत की आंतरिक सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है।
26 मई 2016 को तुर्की की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने फतेउल्लाह ग्यूलेन के संगठन FETO को आतंकवादी संगठन घोषित किया था और साथ ही देश के अंदर और बाहर सभी गतिविधियों को रोकने की योजना बनाई थी। केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे गए एक पत्र में तुर्की के काउंसल जनरल अर्डल अर्गेन ने कहा है कि यूएस आधारित धर्मगुरु फतेउल्लाह का संगठन FETO मुंबई और भारत के अन्य हिस्सों में सक्रिय है। गृह मंत्रालय को लिखे गए पत्र में तुर्की दूतावास ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार से फेटो द्वारा नियंत्रित संस्थानों और उनसे जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
मुंबई मिरर से बातचीत में अर्गेन ने बताया मुंबई में FETO के नेटवर्क में स्कूल, भाषा केंद्र, एक गेस्टहाउस और बैंक की एक शाखा शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मुंबई में संगठन के स्कूल और भाषा केंद्र डेढ़ साल पहले बंद हो गए थे लेकिन उनकी सरकार के पास सूचना है कि संगठन उन्हें फिर से खोलने की योजना बना रहा है।
अर्गेन ने बताया कि दिल्ली में तुर्की दूतावास केंद्र सरकार के साथ इस मामले पर बातचीत कर रही है। उन्होंने राज्य गृह मंत्रालय और दिल्ली को भेजे गए पत्र में उल्लिखित संगठन से जुड़े लोगों का नाम बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि दूतावास के अधिकारी इस मामले को लेकर राज्य सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं। दूतावास ने संगठन से भारत को होने वाले खतरे के प्रति आगाह कर दिया है।
तुर्की दूतावास के अधिकारियों के मुताबिक, फेटो के दो शैक्षणिक संस्थान मुंबई में हैं। एक संस्थान अंधेरी और दूसरा दक्षिणी दिल्ली में स्थित है जो हाल ही में बंद हुए हैं। दूतावास अधिकारियों का कहना है कि शैक्षणिक संस्थान तो बंद हो गए हैं लेकिन फेटो अभी भी सक्रिय है।
अर्गेन ने आरोप लगाया कि तुर्की में अशांति फैलाने में FETO का ही हाथ था और इसे आर्मी के एक सेक्शन से काफी मदद मिली थी। इस संगठन को फंडिंग गुलेन ही करता है। उसका एक मात्र उद्देश्य है कि ऐसे आंतकवादी संगठनों को स्थापित किया जाए जो उसके इशारे पर काम करें।
पूर्वी तुर्की में पैदा हुए गुलेन ने अपनी पहचान एक सुन्नी धार्मिक गुरु के रूप में बनाई। उसके आंदोलन हिजमत के नाम से जाने जाते हैं। गुलेन के तुर्की और विदेशों में सौ से ज्यादा स्कूल और व्यवसाय हैं। यही नहीं, उसके समर्थक 100 से ज्यादा देशों में स्कूल चलाते हैं। जहां धर्मगुरु गुलेन का कहना है कि वह इस्लामिक शिक्षा को वैज्ञानिकता से जोड़ना चाहते हैं वहीं तुर्की दूतावास का कहना है कि धर्मगुरु तुर्की में एक समानांतर सरकार चलाना चाहते हैं।
महाराष्ट्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है और तुर्की सरकार ने इस मामले पर केंद्र सरकार से बात की है। अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार परामर्श करने के बाद इस मामले पर फैसला करेगी।