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ऐसे ममालों में पीड़ित महिला आंतरिक कमिटी की सिफारिश के आधार पर स्पेशल लीव दी जाएगी और आरोपों की जांच के लिए एक स्थानीय कमिटी का गठन किया जाएगा।
पीड़ित महिला को दी गई छुट्टियां उसके खाते की छुट्टियों से नहीं काटी जाएंगी। ये छुट्टियां पहले से केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाली छुट्टियों के अलावा होंगी।
दिसंबर 2016 में डीओपीटी ने कार्यस्थल पर यौन शोषण का शिकार होने वाली महिलाओं के मामलों को लेकर दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसके तहत 30 दिनों में केस की जांच पूरी करने की बात कही गई थी। य़ह भी कहा गया था कि किसी भी सूरत में शिकायत किए जाने के 90 दिनों के भीतर जांच पूरी हो जानी चाहिए।
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