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अब अगली कुछ सुनवाई के दौरान जज इस बात का फैसला करेंगे कि क्या माल्या का अपराध उन्हें प्रत्यर्पित किए जाने लायक है? क्या प्रत्यर्पित किए जाने की राह में कोई कानूनी बाधा है? जज यह भी देखेंगे कि क्या प्रत्यर्पित करने के दौरान यूरोपियन मानकों के मुताबिक शख्स के मानवाधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा? जहां तक भारत और ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण को लेकर संधि है, उसमें प्रत्यर्पण को लेकर किसी दरख्वास्त को कैंसल करने के कई आधार हैं। जानकार मानते हैं कि माल्या के केस में किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए निचली अदालत को कम से कम 10 सुनवाई करनी होगी। इसके बाद, माल्या के सामने अपील और काउंटर अपील का विकल्प होगा।
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